4 क्रिकेट खिलाड़ियों की सबसे स्वार्थी पारियां!

क्रिकेट मैच में अपनी टीम की हार बाद उस टीम के फैंस और क्रिकेट के जानकार अक्सर ऐसे आरोप लगाते हैं की फलां फलां खिलाड़ी ने जानबूझ कर ऐसा खेला की टीम हार गई, दरअसल इस तरह के आरोपों में सच्चाई कम और अपनी टीम के खिलाड़ियों के प्रति गुस्सा ज्यादा भरा होता है जो आज के सोशल मीडिया वाले ज़माने में न्यूज की शकल में हमारे सामने प्रस्तुत किया जाता है।

most selfish innings of 4 cricketers


इस लेख में हमने 4 क्रिकेटरों की सूची बनाई है जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी समय सबसे स्वार्थी पारी खेली थी। 

1) एमएस धोनी (117 गेंदों पर 54 रन)

एमएस धोनी जैसा महान फिनिशर शायद ही वनडे क्रिकेट में कभी आया हो। इनका अंदाज़ बिलकुल हटके है इन पर कभी भी गलत इरादे से अपनी पारी को खेलने का आरोप कभी लगा नही सकता।

धोनी से हमेशा एक गलती हो जाती थी की वो मैच को बहुत गहराई तक ले जाकर खुद ही मैच को खत्म करने की कोशिश करते थे, इस इरादे से वो बहुत ज्यादा गेंदें डॉट करते और आखरी के बल्लेबाजों पर तेजी से रन बनाने का दबाव आ जाता और नतीजे में टीम को हारना पढ़ जाता।

धोनी की ऐसी 2 पारियां हैं जिसमे दांव उल्टा पड़ गया:  

1) भारत 2017 में जब वेस्टइंडीज के खिलाफ कुल 190 रनों का पीछा कर रहा था उस समय धोनी के117 गेंदों पर 54 रन

2) वर्ल्ड कप 2019 के सेमि फाइनल में न्यूजीलैंड के विरुद्ध धोनी के 72 गेंदों में 50 रन। 
  
इन दोनों पारियों में धोनी खेल को गहराई तक ले जाने के अपने तरीके पर अड़े हुए थे। उनका यह कदम बुरी तरह से उल्टा पड़ गया और भारत खेल हार गया। इन सब घटनाओं के बावजूद एमएस धोनी की छवि बिलकुल साफ़ एक सफल कप्तान की बनी हुई है।

2) मनोज प्रभाकर (154 गेंदों पर 102 रन)

मनोज प्रभाकर पहले ऐसे बल्लेबाज है जिनकी सेंचुरी के कारण उन्हें अगले ही मैच से निकाल दिया गया।
इंडिया को 258 रनों का लक्ष्य मिला था। आखिर के 9 ओवरों में 62 रनों की जरूरत थी क्रीज पर नयन मोंगिया और मनोज प्रभाकर मौजूद थे जिन्होंने मिलकर सिर्फ 16 रन बनाए और टीम इंडिया की हार हुई।

मनोज प्रभाकर का कुल स्कोर था 102 रन 154 गेंदों में जिसके कारण अगले मैच में उन्हें ड्रॉप कर दिया गया।

3) रवि शास्त्री (67 गेंदों पर 25 रन)

रवि शास्त्री ने घरेलू क्रिकेट स्तर पर 1 ओवर में 6 छक्के लगाकर काफी चर्चा बटोर चुके है लेकिन इसके साथ 1992 वर्ल्ड कप की एक भुला देने वाली पारी की याद भी साथ जुड़ी हुई है।

दरअसल क्रिकेट एक्सपर्ट्स का मानना है की रवि शास्त्री की सुस्त पारी के कारण टीम इंडिया 1992 वर्ल्ड कप सेमी फाइनल में अपनी जगह नहीं बना पाई।

ऑस्ट्रेलिया ने टीम इंडिया को 236 रनों का लक्ष्य दिया था। बारिश के प्रभाव के चलते टीम इंडिया को एक तेज शुरुवात की जरूरत थी लेकिन शास्त्री की 25 रन की सुस्त पारी के चलते टीम इंडिया सेमी फाइनल में अपनी जगह नहीं बना सकी।

उस समय के क्रिकेट के जानकार ये यकीन नही कर पा रहे थे की रवि शास्त्री ने इतनी धीमी गति से मैच की शुरुवात की है।

4) सचिन तेंदुलकर (147 गेंदों पर 114 रन)

सचिन तेंदुलकर जिनके करियर के आखरी दौर में जब टीम इंडिया मैच हार जाती तो ज़्यादा तर लोगों का यही कहना होता था की सचिन की धीमी पारी के कारन हम हार गए। सचिन द्वारा खेली गयी 2012 एशिया कप की एक पारी को शायद उस श्रेणी में रखा जा सकता है।

भारत एशिया कप 2012 में अंतिम स्थान के लिए जी जान से संघर्ष कर रहा था। लीग मैचों में पाकिस्तान और श्रीलंका को आसानी से हाराने के बाद फाइनल में क्वालीफिकेशन स्थान सुनिश्चित करने के लिए टीम इंडिया को सिर्फ बांग्लादेश को हराना था।

टीम इंडिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया जहाँ सचिन तेंदुलकर अपने 100वें शतक का पीछा करते हुए टीम के लगभग आधे ओवर खा गए। उन्होंने 147 गेंदों में 114 रन स्कोर किये। भारत ने बांग्लादेश के सामने 288 रनों का लक्ष्य रखा जो अंततः अपर्याप्त साबित हुआ क्योंकि बांग्लादेश ने आसानी से इस लक्ष्य को हासिल कर लिया।

तेंदुलकर ने शायद ये सोचा नहीं होगा वरना वो तेज़ी से रन बनाकर बांग्लादेश के सामने एक विशाल लक्ष्य ही रखते।

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